गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

अन्त.मातृभाषा दिवस के अवसर पर जामिया में बहुभाषी कवि गोष्ठी एवं कहानी पाठ

अन्त.मातृभाषा दिवस के अवसर पर जामिया में बहुभाषी कवि गोष्ठी एवं कहानी पाठ




लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। अन्त. मातृभाषा दिवस के अवसर पर जामिया के राजभाषा हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा बहुभाषी कवि गोष्ठी एवं कहानी पाठ का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो. हेमलता महिश्वर, अध्यक्ष, हिंदी विभाग ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. गिरिश चंद्र पंत, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग रहे। जामिया के विभिन्न विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों और प्रशासनिक कर्मचारियों द्वारा हिंदी, संस्कृत, ओड़िया, मलयालम, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी, उर्दू और अंग्रेजी में रचनाएं प्रस्तुत की गईं। कार्यक्रम के दौरान हिंदी भाषा में जहाँ डॉ. मुकेश कुमार मिरोठा, अपर्णा दीक्षित, आदिल अली, मुकुल सिंह चैहान, अदनान कफ़ील दरवेश ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं वहीं शुभम पांडे ने हिंदी कहानी सुनाई। डॉ. सरोज महानंदा ने ओड़िया, डॉ. सत्यप्रकाश प्रसाद ने अंग्रेज़ी, शीला प्रकाश ने मलयालम, डॉ. धनंजय मणि त्रिपाठी ने संस्कृत, डॉ. यशपाल ने ब्रजभाषा में अपनी सस्वर कविताओं से सबका मन मोह लिया वहीं सुरैया खातून ने उर्दू गज़ल पेशकर अलग ही समा बाँधा और सना परवीन ने उर्दू कहानी से सबको मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. हेमलता महिश्वर ने छत्तीसगढ़ की मधुर भाषा छत्तीसगढ़ी में सस्वर गीत प्रस्तुत किए।  
      कार्यक्रम के संयोजक डॉ. राजेश कुमार माँझी, हिंदी अधिकारी ने अपनी भोजपुरी कविताओं और अंग्रेज़ी में अनुदित कविताओं का पाठ किया। डॉ. यशपाल ने कार्यक्रम को बहुत ही कुशलतापूर्वक संचालित किया। कार्यक्रम को आयोजित करने और इसे सफल बनाने में श्री नदीम अख़्तर, हरी नारायण, आदिल अली और वक़ार अहमद की अहम भूमिका रही। श्री इक़बाल अहमद हकीम ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. भारत भूषण, रणवीर सिंह, श्रुति मल्होत्रा, फरहा जै़दी, जैब फरहान बानो, रोशन कासिम आदि प्रशासनिक कर्मियों ने भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना-अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यह कार्यक्रम इसलिए पूरी तरह सफल रहा चूंकि इसमें छात्रों का खासा उत्साह देखने को मिला। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. गिरिश चंद्र पंत, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग की सभी प्रतिभागियों को समर्पित संस्कृत की आशु-कविता ने विशेष रोमांचित किया।

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