मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा ला जन आंदोलन जरुरी बा- लाल बिहारी लाल

भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा ला जन आंदोलन जरुरी बा- लाल बिहारी लाल
सोनू गुप्ता
नई दिल्ली।भोजपुरी आज दुनिया के सोलह गो देश- जे में- मारीशस, हालैण्ड (नीदरलैंड),फिजी,गुयाना,त्रिनिडाड, नेपाल,सुरीनाम ,जमैका,म्यनमांर,अमेरिका,इंगलैंड आदी मुख बा। आ देश के कई गो राज्य- बिहारी,यू.पी., दिल्ली, मध्य प्रदेश, झारखंड, छतीसगढ़,महाराष्ट्र, गुजरात आदी में करोड़ो लोग द्वारा बोलल जाता पर अबही तक एकरा के संविधान में दर्जा ना मिलल  जबकि एकरा से कम बोलेवाला भाषा संविधान के आंठवी अनुसूची में शामिल कइल गइल बा।
     भारत के संविधान में धारा 344 में भाषा के बारे में लिखल बा जे में भातीय संविधान के समस्त कार्यपालिका आ न्यायपालिका के कार्यकारी भाषा अंग्रैजी,हिन्दी  आ क्षेत्रीय भाषायें होई। संविधान के आंठवी अनुसूची में पहिले 14 गो भाषा रहे पर आज 22 गो बा पर  भोजपुरी अबही ले संविधान में शामिल नइखे। एकर दू गो मुख कारण बा। पहिला कारण ई बा कि भोजपुरी बोलेवाला लोग असंगठित बा जेकर फायदा जनप्रतिनिधि लोग खूब उठावता। चुनाव आवते सबके ईयाद आवेला कि हमर सरकार बनी त भोजपुरी भाषा संविधान के हिस्सा होई । आ फेर चुनाव जीतला के बाद ठंढ़ा बास्ता में डाल दिआला। आज देस के 90से 100 गो सांसद भोजपुरी भासी क्षेत्र से आवता तबहू एकर भलाई नइखे होत। बस ई नेता खातिर चुनावी वादा के पिटारा लेके वोट बैंक के रुप में काम आवेला। दूसर सबसे बड़ कारण ई वा कि एकरा खातिर भोजपुरी भाषी लोग ठीक से ध्यान नइखे देत आ कुछ लोग एकरा खातिर झंडा अलग-अलग मंच लेके ढ़ोवता एकर फायदा नेता लोग भी खूब उठावता। अब बहुत हो गइल झंड़ा ढोए के काम अब झंडा से डंड़ा निकाल के नेता लोग के सबक सिखावे के पड़ी । अब ओकरे के वोट दिआई जे भोजपुरी भाषा के  के संसद आ विधान सभा में दर्जा दिआवे के सही में बात करी। एकरा खातिर एक होके जन आंदोलन घरे –घरे पूरा समाज में चलावे के पड़ी। ई कहनाम बा दिल्लीरत्न एंव लाल कला मंच के संस्थापक सचिव आ भोजपुरी के लोकप्रिय गीतकार लाल बिहारी लाल के।
  भोजपुरी के संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करावे के खातिर पिछला चार दसक से संघर्ष होता पर जागरुकता एवं एकता के कमी के बजह से अबही तक ई संविधान से दूर बा। एकरा के जन आंदोलन के बल पर ई कमी के दूर क के नेता लोग के सही से ईयाद दिआवल जाव तबही कुछ बात बनी आ भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा मिली। ना त ई अइसहीं ई चुनाव के मुद्दा बन के रह जाई।     





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