सोमवार, 5 दिसंबर 2016

आधुनिक भारत के निर्माता-बाबा भीमराव अंबेडकर - लाल बिहारी लाल

 दिसंबर पुण्यतिथि पर विशेष
आधुनिक भारत के निर्माता-बाबा भीमराव अंबेडकर
 लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली। बाबा साहव डा. भीमराव अंबेडकर दलितों के अभिमन्यु संविधान के बास्तुकार और युग निर्माता थे।
डा. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में आधुनिक मध्य प्रदेश के मऊ 
नामक स्थान पर हुआ था । महार परिवार में जन्में डा.अंबेडकर के पिता राम 
जी सकपाल ब्रिटीश फौज में सुबेदार थे जबकि माता भीमा बाई ईश्वर भक्त 
गृहिणी थी। एक संत ने भविष्यवाणी करते हुए भीमा बाई को आशीर्वाद देते हुए 
कहा था कि तुम्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ती होगी। भीमा बाई के पुत्र का नाम 
भीम रखा गया। इनके पिता रामजी सकपाल सेवा निवृत होने के बाद महाराष्ट्र 
के कोंकण क्षेत्र में अम्बावडे गाँव में बस गये। इस कारण इनका नाम स्कूल 
में भर्ती करवाते समय भीम राव रामजी अम्बावडे लिखा गया। नाम के उच्चारण 
में परेशानी होने के कारण स्कूल के एक ब्राहम्ण शिक्षक- रामचंद्र भागवत 
अंबेडकर ने अपना उपनाम इन्हें रख दिया । तभी से इनका नाम अंबेडकर पडा।
डा. अंबेडकर को महार जाति में पैदा होने के कारण स्कूली शिक्षा के दौरान 
उन्हें कई कटू अनुभव हुए । उन्हें कमरा में पीछे बैठाया जाता था,पानी पीने 
की अलग ब्यवस्था थी। उस समय समाज में काफी असमानतायें थी जिस 
कारण डा. अंबेडकर का जीवन काफी संर्घषमय एवं सामाजिक विडंबनाओं एवं 
कुरीतियों से लडते हुए बीता।
इनकी प्रारमंभिक शिक्षा दापोली के प्राथमिक विद्यालय में हुई। 6 बर्ष की 
आयु में इनके माता का निधन हो गया। फलस्वरुप इनका लालन पालन 
इनकी बुआ ने की। 1907 में इन्होंने मैट्रीक की परीक्षा पास किया। अपने 
बिरादरी का मैट्रीक पास करने वाले पहले छात्र थे। फिर इनकी शादी भीकूजी 
वालगकर की पुत्री रमा से हो गई। उच्च शिक्षा के लिए सतारा से मुम्बई के 
एलिफिंसटन कालेज में गये।इस दौरान बडौदा महाराज की ओर से उन्हे 25रु 
प्रतिमाह वजीफा मिलने लगे। 1912 में बी.ए. की परीक्षा पास करने के बाद 
बडौदा राज्य की सेवा में वित फिर रक्षा में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए। 
बडौदा महाराज ने उच्च शिक्षा के लिए सन 1913 में इन्हें न्यूय़ार्क भेज दिया। 
उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वदेश आये और भारत में फैले अस्पृश्यता को 
रोकने के लिए काफी प्रयास किया और संविधान में इसकी ब्यवस्था करवाया 
। स्वतंत्र भारत के प्रथम कानूनन मंत्री बने। दलितो के उद्दार के साथ साथ 
समाजिक भाईचारे को बढावा देने तथा वर्ण ब्यवस्था से ब्याप्त कुरीतियों को 
खत्म करने के लिए ता-उम्र लडते रहे और अंत में बाबा भीम राव अंबेडकर का 
6 दिसंबर 1956 को इनका निधन हो गया।


लेखक-लाल कला मंच,नईदिल्ली के सचिव हैं।

लोधी गार्डेन में बही काव्य रस धार - लाल बिहारी लाल

लोधी गार्डेन में बही काव्य रस धार
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लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली। कवयित्रि वसुधा 'कनुप्रिया की अगुआई में साहित्य को समर्पित संस्था - पर्पल पेन साहित्यिक समूह की 7वीं काव्य गोष्ठी -- 'पोयट्री इन द पार्क' का सफल आयोजन बड़ा गुम्बद, लोधी गार्डन्स, लोधी रोड, नई दिल्ली में किया गया । गोष्ठी में दिल्ली/एनसीआर के कवियों के अतिरिक्त उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कवियों ने काव्य पाठ किया । सर्व श्री/ सुश्री नीलोफ़र नीलू, शुभदा वाजपाई, वंदना गुप्ता, श्यामा अरोड़ा, अरुणा शर्मा ने इस गोष्ठी को परवान चढ़ाया वहीं डॉ देव नारायण शर्मा ने भारतीय संस्कृति के प्रतिक माँ गंगा पर कहा कि "धवल चांदनी सा निर्मल निर्झर बहता,पवित्र पावन मनभावन गंगा का जल"। इसे आगे बढाया  त्रिभवन कौल, ए. एस. अली ख़ान, अरविंद कर्ण ने। दिलदार देहलवी ने आदमी की वर्तमान स्थिति पर व्यंग्य करते हुए कहा -- "रंग क्यूं इतना उड़ा है आदमी का, क्या ये पैसा ही ख़ुदा है आदमी का। कवि एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल ने वर्तमान सेहत के प्रति लापरवाही के कारण पनपते रोगों पर आगाह करते हुए सेहत पर कुछ दोहे यूँ पढ़े -- "हाथ खाने से पहले मुँह खाने के बाद, निश दिन धोना सीख लो जीवन रहे अबाद"। इस कड़ी को आगे बढाया डां.गुरविंदर बांगा, विवेक शर्मा आस्तिक, अशोक सपड़ा, जय प्रकाश गौतम ने और संसथापिका वसुधा कनुप्रिया ने कहा कि- क़त्ल का सामान बन कर मत यहाँ आया करो/हम ग़रीबों के दिलों को यूँ न ललचाया करो.... रुद्र विक्म सिंह, राज़ देहलवी और शिव प्रभाकर ओझा ने अपनी सुन्दर और मनोहारी रचनाओं से दिसंबर की गुनगुनी दोपहर को और ख़ुशनुमा बना दिया । उभरते कवि सोलह वर्षीय अभिषेक कुमार अंबर की रचनाओं को सभी ने आशीर्वाद दिया । पार्क में घूमने आये काव्य प्रेमी श्रोताओं से सभी नें तालियाँ बटोरीं । श्रोता अतुल गोयल ने काव्य पाठ भी किया । मंच संचालन पर्पल पेन की संस्थापक वसुधा 'कनुप्रिया' ने किया औऱ अंत में आये हुए सभी कवियों को हार्दिक धन्यवाद भी दिया।






गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

एड्स का जागरुकता ही बचाव है-लाल बिहारी लाल

विश्व एड्स दिवस ( 1 दिसंम्बर) पर विशेष
एड्स का जागरुकता ही बचाव है-लाल बिहारी लाल
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 लगातार थकान,रात को पसीना आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह पर सफेद धब्बे,,सुखी खांसी,लगातार बुखार रहना आदी पर एड्स की संभावना हो सकती  हैं।
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लाल बिहारी लाल
 नई दिल्ली।लगभग 200-300 साल पहले इस दुनिया में मानवों में एड्स का नामोनिशान तक नही था। यह सिर्फ अफ्रीकी महादेश में पाए जाने वाले एक विशेष प्रजाति  के बंदर में पाया जाता था । इसे कुदरत के अनमोल करिश्मा ही कहे कि उनके जीवन पर इसका कोई प्रभाव नही पडता था। वे सामान्य जीवन जी रहे थे।
      ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले एक अफ्रीकी युवती इस बंदर से अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित की और वह एड्स का शिकार हो गई क्योकि अफ्रीका में सेक्स कुछ खुला है , फिर उसने अन्य कईयों से यौन संबंध वनायी और कईयों ने कईयों से इस तरह तरह एक चैन चला और अफ्रीका महादेश से शुरु हुआ यह एड्स की बीमारी आज पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले चुकी है। आज पूरी दुनिया में 40 मिलियन के आसपास एच.आई.बी.पाँजिटीव है इनमें  से 25 मिलियन तो डिटेक्ट हो चुके हैं जिसमें सिर्फ अमेरिका में ही 1 मिलियन इस रोग से प्रभावित हैं।हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्रसंघ की ताजा रिपोरट के अनुसार एच.आई.वी. से प्रतिदिन 6,800 लोग संक्रमित हो रहें हैं तथा कम से कम 5,700 लोग एड्स के कारण मौत को गले लगा रहे हैं। 
     भारत में कुछ मशहूर रेड लाइट एरियामुम्बई,सोना गाछी (कोलकाता), वनारस, चतुर्भुज  स्थान (मुज्जफरपुर), मेरठ एवं सहारनपुर आदि है। उनमें कुछ साल पहले तक तो सबसे ज्यादा सेक्स वर्कर मुम्बई में इस एड्स प्रभावित थे पर आज एड्स से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्स कर्मी लुधियाना(पंजाब) में है और राज्यो की वात करे तो सर्वाधिक महाराष्ट्र में है। इसके बाद दुसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है।
    इस विमारी के फैलने का मुख्य कारण (80-85 प्रतिशत) असुरक्षित यौन संबंध के कारण (तरल पदार्थ के रुप में बीर्य) - ब्यभिचारियों, बेश्याओं, वेश्यागामियों एंव होमोसेक्सुअल है।इसके अलावे संक्रमित सुई के इस्तेमाल किसी अन्य के साथ करने,संक्रमित रक्त चढाने  तथा बच्चों में मां के जन्म के समय 20 प्रतिशत का जोखिम और स्तनपान के समय 35 प्रतिशत का जोखिम रहता है एड्स के फैलने का। इस बीमारी के चपेट में आने पर एम्यूनी डिफेसियेंसी(रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम हो जाती है।जिससे मानव काल के ग्रास में बहुत तेजी से बढता  है। और अपने साथी को भी इस चपेट मे ले लेता है। अतः जरुरी है कि अपने साथी से यौन संबंध वनाने के समय सुरक्षक्षित होने के लिए कंडोम का प्रयोग अवश्य करें। सन 1981 में इसके खोज के बाद अभी तक 30 करोड से ज्यादा लोग काल के गाल में पूरी दुनिया में समा चुके हैं।


   इसके लक्षणों में मुख्य रुप से लगातार थकान,रात को पसीना आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह पर सफेद धब्बे,,सुखी खांसी,लगातार बुखार रहना आदी प्रमुख हैं।
 इस बीमारी को फैलने  में भारत के ग्रामिण  इलाके में गरीबी रेखा से नीचे ,अशिक्षा,रुढीवादिता ,महँगाई और बढती खाद्यानों के दामों के कारण पापी पेट के लिए इस कृत(पाप) को करने पर उतारु होना पडता है। इससे बचने के लिए सुरक्षा कवच के रुप में कंडोम का उपयोग एवं साथी के साथ ही यौन संबंध बनायें रखना ही सर्वोत्म उपाय है ।
    दुनिया में 186 देशो से मिले आकडो पर आधारित एचआईवी/एड्स ग्लोबल रिर्पोट-2012 के मुताबिक  भारत में 2001 से 2011 के मुकावले नए मरीजो की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी आई है। 40-55 प्रतिशत मरीजो को एंटी रेटेरोवायरल दवायें उपलब्ध है। लेकिन अभी भी विश्व में इसका खतरा टला नहीं है। बर्ष 2011 में 20.5 करोड लोग इसके चपेट मे आयें हैं। जबकि 50 प्रतिशत की कमी आई है।रिर्पोट के अनुसार 2005 से 2011 के बीच पूरी दुनिया में 24 प्रतिशत कम मौत दर्ज की गई है। यह अच्छी वात है पर अभी भी इसके लिए जागरुकता की सख्त जरुरत है।इसी क्रम में आम जन को जागरुक करने के लिए 1988 से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाते हैं।



लाल बिहारी लाल
सचिव
लाल कला,सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना मंच,नई दिल्ली
फोन-9868163073

lalkalamunch@rediffmail.com