मंगलवार, 5 जुलाई 2016

सातवाँ वेतन आयोग कर्मचारियों के लिए खाली पिटारा-जे.पी.पाण्डे

सातवाँ वेतन आयोग रिर्पोट मंजूर होते ही क्रियाओं एंव प्रतिक्रियाओं का सिलसिला बड़ी तेजी से चल रहा है। जहाँ हर ओर सरकारी कर्मचारी तनखाह से नामात्र की बढोतरी से नाखुस है वही दूसरे लोग इसे देश पर एक अतिरिक्त बोझ के रूप में देख रहे हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटाली के अनुसार इससे सरकारी  खजाने पर 102,100 करोड़ रूपये का बोझ बढेगा किन्तु इससे घरेलू बचत और माँग में बढोतरी से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।  देश भर में लगभग 43 लाख सेवा में  एंव 57 लाख पेनशर कर्मचारी कार्यरत हैं, जो वर्षों से वेतन आयोग का इंतज़ार करते हैं। सरकारी कर्मचारी भी इस समाज का हिस्सा है, उन्हें भी एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है। सरकारी नौकरी में अभी भी सबसे ज्यादा मांग है। उदारवादी अर्थव्यस्था के दौर में भी सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी के लिए ही पढाई करते हैं। यधपी सरकारी कर्मियों के अर्थव्यस्था और भ्रष्टाचार के किस्से जगजाहिर है इसके बाबजूद सरकार जीवन के सभी क्षेत्रों में मौजूद है, प्रशासन, शिक्षा, परिवहन,रेलवे,कर,पुलिस,चिकित्सा सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी मैजूदगी दर्ज करता है। शिक्षा के क्षेत्र में आई.आई.टी.आई.एम चिकित्सा के क्षेत्र में एम्स परिवहन के क्षेत्र में रलवे का कोई सानी नहीं है। सरकारी कर्मियों की बात तो छ्ठे वेतन आयोग के पहले नाम मात्र की तन्खाह पर जीने वाले ऐसी प्रजाती थी जो पे-चेक-टू पे चैक पर गुजारा करते थे। महिने के अंतिम तिथि के इंतजार में घर लगभग बड़े खर्च स्थगित रहते थे रेलवे में कर्मचारियों को नगद भुगतान देने की प्रथा थी। जब मैंने पहली बार बैंक में वेतन भेजने का प्रयास किया तो कर्मचारियों की तरफ से बड़ा ही मजेदार तर्क दिया जाता था कि नगद वेतन मिलने से घर कुछ ही दिन तो रौनक रहती है उसके बाद तो वेतन घर में खर्चे,ईलाज,बच्चों की पढाई घर की हाला अदा करने में खत्म हो जाती है।छ्ठें वेतन आयोग के उपरांत वेतन में सम्मान-जनक बढोतरी हुई वेतन के अलावा चाइल्ड केयर लीव,चिल्ड्रेन ऐजुकेशन अस्सिटेंस,ट्रांसर्पोट अलाउंस,ग्रेड पे सिस्टम, उच्चतम वेतनमान एंव निम्नतम वेतन में अंतर को घटाना आदि की शुरूआत ये कदम ऐसे थे जिनसे सरकारी कर्मचारियों को बहुत सारी सुविधायें मिली, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया तथा उनकी मानसिक सोच भी बदली इससे उनके काम की गुणवत्ता व क्षमता में सुधार भी आया। यहाँ तक सातवें वेतन आयोग का प्रश्न है इससे अब तक की सबसे कम बढोतरी हुई है। पाँचवे वेतन आयोग में मूल वेतन 50 प्रतिशत छ्टे वेतन आयोग में 40 प्रतिशत एंव सातवे वेतन आयोग में मात्र 14 प्रतिशत की वृद्वी हुई है। मूल वेतन में 2.57 गुना बढोतरी की बात तो ठीक है लेकिन वास्तविक रूप से वेतन पे मात्र की वृद्वी हुई है। श्री रईश अहमद जो पिछ्ले 15 साल से नौकरी में हैं वर्तमान में कुल वेतन का 23,715/- रूपये है जबकि वेतन आयोग की सिफारिस के बाद वेतन 27,200/- हो जायेगा। इस प्रकार प्रतिमाह रूपये 3,474/- की वृद्वी हुई है जिससे 341/- रूपये टैक्स में कट जायेगा और मात्र 3,126/-(13.18 प्रतिशत) की वृद्वी हुई है। यदि सरकारी व्यवस्था ठीक करनी है तो भले ही सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम की जाये किन्तु जो कर्मचारी है उनको र्प्याप्त वेतन, अच्छी सुविधायें,अच्छा वातावरण एंव वर्किग माहौल और कम से कम बाहरी हस्तक्षेप एंव दबाव का माहौल देना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों में जबावदेही सुनिश्चत करनी होगी इसके लिए र्प्याप्त मानिटरिंग सिस्टम विकसित करना होगा।

 जे.पी.पाण्डे,मसूरी
प्रस्तुति-लाल बिहारी लाल
सचिव0लाल कला मंच,नई दिल्ली
फोन-9868163073 या7042662072

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