सोमवार, 8 जून 2015

कविता-राम भरोसे देश चल रहा....

कविता-राम भरोसे देश चल रहा....
*लाल बिहारी लाल 


नैतिकता का पतन हो रहा मानवता का खून
राम भरोसे राज चल रहा दिल्ली देहरादून
नैतिकता का पतन हो रहा.....

नेता ब्यस्त हैं कुर्सी में, जन से बे-परवाह
पल-पल गलती कर रहे, नहीं है कोई गवाह
जनता भूखे मर रही, रबड़ी खाये चुन-चुन
राम भरोसे देश चल रहा....

आँधी चली बिकास की, कुछ हुए मालामाल
अरबपति हो गये सैकड़ों,ष रहे कंगाल
खाने को रोटी नही दनिया है खुश सुन-सुन
राम भरोसे देश चल रहा....

जा पहूँचे आसमान पर लेकर अग्नि अस्त्र
क्या होगा इस जनता का जीवन से जो त्रस्त
य़ाद करो इतिहा शिव की जो खाय थे जून
राम भरोसे देश चल रहा....

देश चलेगा कब तक ऐसे, सोंचों मेरे यार
गाँधी,पटेलसा तुम भी, कर लो देश से प्यार
कब तक पूँछ हिलाओगे, बन के लाल शुन
राम भरोसे देश चल रहा....


सचिव - लाल कला मंच

     बदरपुर,नई दिल्ली

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