सोमवार, 8 जून 2015

कविता-राम भरोसे देश चल रहा....

कविता-राम भरोसे देश चल रहा....
*लाल बिहारी लाल 


नैतिकता का पतन हो रहा मानवता का खून
राम भरोसे राज चल रहा दिल्ली देहरादून
नैतिकता का पतन हो रहा.....

नेता ब्यस्त हैं कुर्सी में, जन से बे-परवाह
पल-पल गलती कर रहे, नहीं है कोई गवाह
जनता भूखे मर रही, रबड़ी खाये चुन-चुन
राम भरोसे देश चल रहा....

आँधी चली बिकास की, कुछ हुए मालामाल
अरबपति हो गये सैकड़ों,ष रहे कंगाल
खाने को रोटी नही दनिया है खुश सुन-सुन
राम भरोसे देश चल रहा....

जा पहूँचे आसमान पर लेकर अग्नि अस्त्र
क्या होगा इस जनता का जीवन से जो त्रस्त
य़ाद करो इतिहा शिव की जो खाय थे जून
राम भरोसे देश चल रहा....

देश चलेगा कब तक ऐसे, सोंचों मेरे यार
गाँधी,पटेलसा तुम भी, कर लो देश से प्यार
कब तक पूँछ हिलाओगे, बन के लाल शुन
राम भरोसे देश चल रहा....


सचिव - लाल कला मंच

     बदरपुर,नई दिल्ली

शुक्रवार, 5 जून 2015

पर्यावरण संरक्षण का रखे ख्याल –लाल बिहारी लाल


पर्यावरण संरक्षण का  रखे ख्याल –लाल बिहारी लाल

इस संसार में कई ग्रह एवं उपग्रह हैं पर पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन एवं जीव पाये जाते हैं।धरती कभी आग का गोला था, जलवायु  ने इसे रहने लायक बनाया और प्रकृति ने मुनष्यों सहित समस्त जीवों, पेड़-पौधों का क्रमिक विकास किया। प्रकृति और जीव एक दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति सत्य है बिना प्रकृति के न तो जीवन उत्पन्न हो सकता है और न ही जीव। इसीलिए  प्रकृति मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण की सीख देता है। हमारा शरीर प्रकृति के पांच तत्त्वों से मिलकर बना है-क्षितिज, जल, पावक, गगन, समीरा। पंच तत्व यह अधम शरीरा। इन पंच तत्त्वों के उचित अनुपात से ही चेतना (जीवन) उत्पन्न होती है। धरती, आकाश, हवा, आग, और पानी इसी के संतुलित अनुपात से ही धरती पर जीवन  और पर्यावरण निर्मित हुआ है, जो जीवन के मूल तत्व हैं।
                    


        आज बढती हुई आबादी के दंश से पर्यावरण का संतुलन तेजी से  बिगड रहा है।  और प्रकृति  कूपित हो रही है। प्रकृति के किसी भी एक तत्व का संतुलन बिगड़ता है, तो इसका प्रभाव हमारे जीवन के ऊपर पड़ता है। मसलन- बाढ़, भूस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी उद्गार जैसी देवीय आपदा सामने आती हैं।  इसके लिए समाज एवं सरकारी स्तर पर देश दुनिया में काफी प्रयास हो रहे है। परन्तु यह प्रयास तभी कारगर हो सकते है जब हर जन इसके लिए आगे आये। इसके लिए समाज में जागरुकता की कमी को दूर करना होगा तभी इसके सकारात्मक फल मिल सकता है। हम और आप छोटे-छोटे प्रयास कर के इस बिगडते हुये पर्यावरण को ठीक कर सकते है। मसलन पानी की बर्बादी को रोकना,इसके लिए गाडी को सीधे नलके के बजाये बाल्टी में पानी भरकर गाडी को धोना,अपने घर में हो रहे पानी के लिकेज को रोकना गांव- मुहल्लों में बिना टोटी के बहते हुए पानी को रोकना इसके लिए पडोसी को जागरुक करना। ब्यक्तिगत वाहन के बजाये सार्वजनिक बाहन का उपयोग करना या फिर कार आदि को पूल करना।अपने घरों में छोटे-छोटे पौधे को गमले में उगाना। कागज के दोनों ओर लिखना।पुराने किताबों को रद्दी बेंचने के बजाये किसी विद्याथी या पुस्तकालय को दे देना आदी जैसे बहुत से छोटे-छोटो उपाय है जिसे अपनाकर पर्यावरण का ख्याल रखनें में अपनी भूमिका को साबित कर सकते है और इस पृथ्वी को आने वाले पीढी के लिए सुरक्षित बना सकते  हैं।
लाल बिहारी लाल,सचिव लाल कला मंच,नई दिल्ली-110044