गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

श्री कवँरपाल का 75 वाँ जन्मदिन धूम-धाम से मनाया ।

श्री कवँरपाल  का 75 वाँ जन्मदिन धूम-धाम से  मनाया।
लाल बिहारी लाल
नई दिलली। अखिल भारतीय जाटव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दिल्ली शिक्षा निदेशालय से सेवा निवृत  श्री कवँरपाल जी का 75वाँ जन्मदिवस धूम-धाम से बदरपुर के लखपत कालोनी में मनाया गया। इस आवसर पर बसपा के दक्षिणी दिल्ली के प्रभारी सिद्धांत गौतम,बसपा के बदरपुर विधान सभा के प्रभारी विजय प्रकाश ,समाजसेवी आत्माराम पांचाल ,समाजसेवी एवं लेखक लाल बिहारी लाल सहित सैकडो लोग ने इन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये दी। उनमें मुख्य रुप से कुवंर पाल,बेद प्रकाश,के.एल. सागर,बी..आर. सोनी, ददन कुमार,इन्द्रदेव कुशवाहा,बी.एस. चौहान आदि गन्य मान्य  मौयूद थे। इस आवसर पर लाल कला मंच के सचिव लाल बिहारी लाल एवं बी.आर. सोनी द्वारा शाल ओढाकर इन्हें जन्मदिन की बधाई दी गई।
  इसके आलावे बाबा भीम राव अंबेडकर साहब को भी कार्यक्रम के शुरुआत में माल्यार्पण किया गया। तथा उनके बतायो हुए पद चिन्हो पर चलने के लिए चर्चा किया गया ताकि भारत के भविष्य को आधुनिक बनाया जा सके। एवं शिक्षा , संगठन एवं संघर्ष के अनुरुप काम हो सके।





सोमवार, 13 अप्रैल 2015

अंबेडकर जयंती पर विषेश -आधुनिक भारत के निर्माता-बाबा भीमराव अंबेडकर


आधुनिक भारत के निर्माता-बाबा भीमराव अंबेडकर
लाल  बिहारी लाल
 बाबा साहव डा. भीमराव अंबेडकर दलितों के अभिमन्यु संविधान के बास्तुकार और युग
निर्माता थे ।डा. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में आधुनिक मध्य प्रदेश के मऊ नामक स्थान पर हुआ था
। महार परिवार में जन्में डा.अंबेडकर के पिता राम जी सकपाल ब्रिटीश फौज में सुबेदार थे जबकि
माता भीमा बाई ईश्वर भक्त गृहिणी थी। एक संत ने भविष्यवाणी करते हुए भीमा बाई को आशीर्वाद
देते हुए कहा था कि तुम्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ती होगी। भीमा बाई के पुत्र का नाम भीम रखा
गया। इनके पिता रामजी सकपाल सेवा निवृत होने के बाद महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में अम्बावडे गाँव
में बस गये। इस कारण इनका नाम स्कूल में भर्ती करवाते समय भीम राव रामजी अम्बावडे लिखा
गया। नाम के उच्चारण में परेशानी होने के कारण स्कूल के एक ब्राहम्ण शिक्षक- रामचंद्र भागवत
अंबेडकर ने अपना उपनाम इन्हें रख दिया । तभी से इनका नाम अंबेडकर पडा।
डा. अंबेडकर को महार जाति में पैदा होने के कारण स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें कई कटू अनुभव
हुए । उन्हें कमरा में पीछे बैठाया जाता था,पानी पीने की अलग ब्यवस्था थी। उस समय समाज में
काफी असमानतायें थी जिस कारण डा. अंबेडकर का जीवन काफी संर्घषमय एवं सामाजिक विडंबनाओं
एवं कुरीतियों से लडते हुए बीता।

इनकी प्रारमंभिक शिक्षा दापोली के प्राथमिक विद्यालय में हुई। 6 बर्ष की आयु में इनके माता का
निधन हो गया। फलस्वरुप इनका लालन –पालन इनकी बुआ ने की। 1907 में इन्होंने मैट्रीक की
परीक्षा पास किया। अपने बिरादरी का मैट्रीक पास करने वाले पहले छात्र थे। फिर इनकी शादी
भीकूजी वालगकर की पुत्री रमा से हो गई। उच्च शिक्षा के लिए सतारा से मुम्बई के एलिफिंसटन
कालेज में गये।इस दौरान बडौदा महाराज की ओर से उन्हे 25रु प्रतिमाह वजीफा मिलने लगे। 1912
में बी.ए. की परीक्षा पास करने के बाद बडौदा राज्य की सेवा में वित फिर रक्षा में लेफ्टिनेंट पद पर
नियुक्त हुए। बडौदा महाराज ने उच्च शिक्षा के लिए सन 1913 में इन्हें न्यूय़ार्क भेज दिया। उच्च
शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वदेश आये और भारत में फैले अस्पृश्यता को रोकने के लिए काफी
प्रयास किया और संविधान में इसकी ब्यवस्था करवाया । स्वतंत्र भारत के प्रथम कानूनन मंत्री बने।
दलितो के उद्दार के साथ साथ समाजिक भाईचारे को बढावा देने तथा वर्ण ब्यवस्था से ब्याप्त
कुरीतियों को खत्म करने के लिए ता-उम्र लडते रहे और अंत में बाबा भीम राव अंबेडकर का 6
दिसंबर 1956 को इनका निधन हो गया।
सचिव- लाल कला मंच,नई दिल्ली